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पाउल् दूतयें ज्ये पत्र तोवसनें पासे लख्यो हतैौ ।

१ पहला पत्र |

ईश्वर ना परसंद कोधा लोकोमो भक्ति सरखू' वळी अ नंत वायुदीयना भरोसाना विषयमा ईश्वरनो सेवा सरखूं सचाई कबूल करवाना सरखूं ईश्वरना सेवक नें विश खोटनो दूत पाउल् भक्तियो पोताना पुत्र तीतस्ने पासै २. पत्र लखे है । मिथ्या न कही सकाळी ईश्वरयें ज्ये अनंत ३ आयूर्दीय जगतना प्रारंभनें परथम बचन कीधूं । परंतु

इश्वर कामारा तारकनों आज्ञा सरखूं ज्ये जणावानी सेवा मारे पासे सांपो थको त्येथी पोतानी वाती उचित 8 वेळां हवै परघट किधोरै । ईश्वर पिता ने चामास तारक प्रभु विशु खोष्टथी अनुग्रह में कृपा नें शति धांवा । ५ में क्रेतमा तनें माढै राख्यो को अधूरा ज्ये२ है त्ये ठोक ६ करै वळी ज्येवू में तनें कहीनें निश्चय कोधूंचतूः। त्येव जो कोई निर्दोष वळी एक बाइडोनो धणी नें ज्येनो दोकरौ विश्वासी नें होहो करवाथ तोहमती वळी भुंडो नथों है एवा लेोकानें हरेक शहरमा जूनाऔनो सेवामा निश्चय ७ करै।। कोंमक्ये ईश्वरनो दिवानों एवं निरपराध नें पोतेपरसंद नहीं एकबारगी क्रोधी नहीं मदपान करवानी टेव नहीं मारवावाळा नहीं कापविच लेोभमा लोभी नहीं । ८ परंतु अतिथ्य करवावाळा नें साधनें वाल्ह करवावाळी ने

है वळी श्वेवू ं सिखाड्यू गई विश्वास वात व्येव बाळू राखवावाला को निर्देष सिक्षाथो विरोध करवावाळाचानें उपदेश वळों रद करवा सकै एवानें श्राचार्यं घावानी १० अवश्य है। कॉमको मगरो लोक ने वृथा बात कहवावाळा में भ्रम उत्पन्न करवावाळा षणा लोक है विशेषत लक ११ दं कोधा गया लोकौना वच्मा क्ये ज्येहोण ं मुद्दडू ं याबश्य बंध करवूं पड्र्शे ज्ये अपवित्र लोभनें माटै सोखवानो अनु चित वाता सिखतेर सऊ संबंधियोंनें उलटवो नाखेरै । १.२ येहोना एक मयोस यें अधीत त्येहाना पश् मेोताना याचा व्यं एक मणीस्यें कयू को क्रेती सदा मिथ्या कहवावाळा है १३ दुष्ट यशू धोरेर चालवावाळा पेट है। ए प्रमाण सच है

ए माटै त्येहाणनो धमकाव को त्ये विडदो वारता नें सचा १४ ई उल्टाववाळा मयीसन जकम न मानोनें खीचना मतमा १५ परिपक्क यांय । निर्मळ लोकोनें पासै सऊ निर्मळ

है परंतु अपवित्र में अविश्वासीने घासै काईकपण निर्मळ २६ नथी परंतु त्येहाना मन में जीव अपवित्र है । ये कबूल करैहैं को ईश्वर ने जागिये है यें परंतु विन्नालायक नै नमान वाघाळा ने हरेक छाछा कामना विषयमा हुन्छ करो जाय वा लायक थेने काममा इनकार कर हैं ।

२ बीज पर्व्व 1- परंतु तू सुसिक्षानें लाएक ज्ये‍ वाव २ है त्ये क है । क्ये गरौ परव सूफी ने गंभीर ने परिमाण चालवावाळा ने भक्तिथी ने प्रेमथौ नें सहवाथी परिपक्क २ घांय । गरी बाइडियोपण कहो को त्ये धर्मथो व्यवहार शोभा पामें ये करै भूठी तोहमत न थाय नें अधिक मद पान करवावाळा न घाय परंतु श्राशा विषयमा सिखाडवावाळी 8 श्याय । को तरूण नाइडियानें सफो सूरत थावानें नें पोतानार

५. धणोनें नें वैयायानें वाल्ह करवाने में विचार करवावाळी में

सती ने पोताने घर रहवावाळी नें भलो नें पोताना धणे

नौ ग्राधीन थावानें सिखाडे को ईश्वरनी वामनी भंडाईन ई ६ थाय । तरुण पुरुघनेंपण सूफी खभाव थादानें उपदेश कर ७ सऊ विषयथो घोतानाने आछा कामनो वानगो दिखाडी सिक्षाची निर्लोभ गंभीरपण शवलाई । नें निर्दोष पर जनो व्रातपण दिखाड को शत्रु लोक तमारो भुंडाई 2 करवान् कोई न पामोनें लज्जित थाय । चाकरैनें उप देश कर जे को त्ये येताना धोना श्रधीन नें सऊ विषयमा परसन्न करवावाळा थाय जवाब न देता वळो चोरो १० न करता । परंतु आछोपठैथो विश्वासनू व्यवहार करते को

अमारुं त्राण करवावाळा ईश्वरनो सिक्षा सऊ कामचो ११ शोभा श्रयै । कोंमक्ये श्रमारैरौ मोक्ष उत्पन्न करवावाळी

ईश्वरन् अनुग्रह सऊ मयोसोनें ए सिखाडवावाळौ पासै १२ परघट है । ईश्वरनें न मानवू ने संसारना मस्ती

बळगो राखोनें में त्ये सुखदेवावाला भरोसानो वमे परमेश्वरनी अर्थात श्रमारै। तारवावाळो विशु खोठनो १३ ऐशय्यंनो मरघटनो बाद जोईनें ए इवखाना संसारमा

सूफी सूरतयो ने साध सूरतथी में ईश्वरनी सेवाकरवानी ९४ सूरतथो व्यवहार करे को ज्येणे घमारे माटै पोवानाने ये

क्ये अम्नें सऊ अयथार्थपणाथो छुडावा नं पोतानें माटै याळू' काम करवानें त्यार विशेष एक वरण पवित्र करे । १५ बात कहे नें उपदेश कर नें सऊ सरदारोथो धमकाव कर कोई तमनें तुच्छ करो न जाये ।

३ त्रोज पर्व्व । - राजाधिराजोना में अमिलौना ग्राधीन 12 थावाने ने धणियाने मानवानें वळी हरेक छाछा काममा उप

परंतु नरम थावानें नें सऊ लोकाने पासै नरमों दिखाडवा १ळा थावानें त्येचे बना मनमा श्राप । क्वेंम्क्ये कामें पातेप

पूर्वकालमा दाढा श्रीमा अज्ञान में न मानवावाळा भरत थका नें नाना मस्तीना नें सुखना सेवक ने भुंडा कामनें करवाबाळा ने विरोधता करवावाळा नें घिनाकरवा लायक ● नें परस्पर घिन्ना करवावाळा हता। परंतु मारा ५ तारवावाळा ईश्वरन् सेह नें प्रेम मयोसोनें पासै परघट थथा पाकळ येणे अमारा कोधा थका साथपणाना कामथी नहीं परंतु फरो जनमवा सूरतना धोवरावाथी वळी धर्मा त्माना करवाथी बोजा वार नव ं करवाथोषण छाम्नें चाय ६ को है । क्ये वेणे अममें तारवावाळा यिशुखोष्टनी मार् फत अमारे ऊपर अतिशयरुयै पाळी है ।

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ये अनुग्रहाथों साध कोधा जैनें अनंत श्रायुदीयना भर साना सरखूं अधिकारी थैथें । ए वात विश्वास कर वानी है वळी हं चाहंळू' क्ये तू सदा दृछाताथी एक है क्ये ज्येहाण्यें ईश्वरमा विश्वास की धू' है त्ये अळू काम पालण करवानें परिश्रमी घाय मयोसोनें माटै भन् ६. नें गुणकारी ए है । परंतु गहलामणान् पूछवूं नें वंशा

वली नें विवाद में तोरैतना विषयमा विवाद मुक क्यें मक्ये १० ये वृथा में अनजोइता है । ज्ये मणीस हेरेतिक है त्येनें एक १९ वार को बोजीवार फकडी कोधा पाछळ मुक कम्क्ये त्ये १२ मणोस अवळ ने येताथी दोघो छैनें पाप करे छे ज्या रे हं र्तिमासनें नें तिखि कसनें तारे पासै माकन च्यारे निको १३ लिसमा मात्रै पासै खावान् उपाय कर जे । क्ों को ठाठामा त्यां रद्दवानूं मारुं विचार है जेनस नतिजानवावाळा नें ग्रा पल्लस नें त्येहे।ना कृच्मा श्राछोपठे सहाय करजे को हो १४ ना कोई विषयमा खामी न थाय । श्रमारा लेक्रिपण जरूरी

१६ वृथा न घाय । मारै साथै जिटळा लोक है ये सऊ तमनें नमस्कार करैछे ज्ये कोई खोटना मतमा भ्रमनें वाल्ह करे है त्येहोनें नमस्कार करे। तम सऊपर अनुग्रह था । श्रामिन ।

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